पेरजागढ़ (Seven Sisters Hill)  पर फिर से मधुमक्खियों के हमले में 25 सैलानी घायल कुछ गंभीर

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मधुमक्खियों के हमले में आजतक कई की मौते हुई एवं शेकडो  गंभीर घायल हुए

जिल्हा प्रतिनिधी (यश कायरकर):   

तलोधी वनपरिक्षेत्र अंतर्गत आनेवाले, गोविंदपुर क्षेत्र के पेरजागढ़ (सेवन सिस्टर हिल) पर पर्यटन के लिए आए नागपुर के कुछ सैलानियों में से 25 सैलानियों को मधुमक्खियों ने 28 जून 2023 को शाम घायल कर दिया ।  जिसमें से कुछ गंभीर रूप से घायलो का इलाज  शंकरपुर के नीजी हस्पताल में प्राथमिक उपचार कर नागपुर वापस चले गए।
मिली जानकारी के मुताबक अक्सर यहां  के कुछ स्थानिक की मिलीभगत से और नागपुर की एक ‘झिरो माइल्स डेस्टिनेशन’ नाम की टूर एंड ट्रेवल्स कंपनी अक्सर यहां लोगों से 3000 से 4000 रु. पर सैलानियो को यहां पर ट्रेकिंग के लिए लाते है।


जबकि यह अत्यंत खतरनाक और जानलेवा जगह बन चुकी है  ज्ञात हो कि  शनिवार  8 अप्रैल 2023 को 2 लोगों को मधुमक्खियों के हमले में अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और 5 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे तभी से वनविभाग ने यहां पर प्रवेश बंदी कर बॅरीकेट्स लगा दिए थे। तब से यहां पर मधुमक्खियों के छात्रों में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई है और जिस रास्ते से लोग पहाड़ी पर चढ़ते हैं वहां काफी नजदीक बड़े-बड़े छाते बने हुए हैं, इसके के बावजूद यहां पर हमेशा सैलानी जाते रहते हैं और हर रोज ही यहां मधुमक्खियों के डंक से कुछ सैलानी घायल होकर वापस लौट जाते हैं।

ऐसा ही रहा तो भविष्य मे बड़ी दुर्घटना होने की संभावना है। वनविभाग ने गंभीरता से ध्यान देते हुए यहां पर सख्ती से प्रवेश बंदी करनी चाहिए।
यह संपूर्ण परिसर वन व्याप्त है तालोधी बालापुर वनपरीक्षेत्र अंतर्गत आनेवाला यह पेरजागड (सात बहिनी) पहाड़ ताडोबा अभयारण्य से महज 22 कि.मी. दूरी पर है और हालही मे घोषित घोड़ाझरी अभयारण्य से लगा हुआ है । इस परिसर में बड़ी मात्रा में वन्यजीव का अधिवास है जिसमें बाघ , तेंदुआ ,भालू, भेडीए, जंगली कुत्ते, जैसे बड़े जानवर हमेशा दिखाई देते हैं। और इस पत्थर की पहाड़ी पर बड़े-बड़े मधुमक्खियों के सैकड़ों छाते लटके हैं।
फिर भी बड़ी मात्रा में सैलानी कुछ श्रद्धालु और ज्यादातर प्रेमी-युगल  युवक-युवतीया हर रोज यहां आते रहते हैं । जंगली जानवरों के हमले से बेखबर अपनी जान जोखिम में डालकर हमेशा युवक-युवती या यहां दुचाकी और सैकड़ों वहनो से रंगरलिया मनाने के लिए  जंगल में आते रहते हैं। और हर इतवार को मानो हजारों लोगों का यहां मेला सा लगा रहता है । और साथ ही प्लास्टिक, पानी की बोतल,  खाना खाने के  प्लास्टिक और थर्माकोल की पत्रावली, बच्चों के डायपर को इस परिसर में फेंक गंदगी करते है  जिसके चलते इस जंगल परिसर में प्लास्टिक प्रदूषण फैल रहा है।

“यहां पर बहुत ही खतरनाक परिस्थिति निर्माण हो रही है घायल लोग मेरे ही मेडिकल में दवाई लेने के लिए आए थे वनविभाग में इस और ध्यान देकर कोई बड़ी अनहोनी से बचने के लिए जल्द ही जल्द रास्ता खोज कर वहां का पर्यटन बंद कर देना चाहिए और इस बारे में मैं जल्द ही उप वनसंरक्षक और अन्य अधिकारियों को निवेदन भेजने वाला हूं।”
– अमोद गौरकर, वन्यजीव प्रेमी, पदाधिकारी तरुण पर्यावरण वादी मंडल १

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