वर्दी वाली अफसर

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💐 समर्पित दीपाली चव्हाण RFO 💐

वर्दी वाली अफसर

खूब लढ़ जा मर्दानी तू तो
वर्दी वाली अफसर है ;
सेवा मे नियमित वनो की
ना छोडे तू कोई कसर है ।

कोई पुकारे तुझे दबंग
तो कोई कही लेडी सिंघम;
निकल थाट से पहन के वर्दी
रूम रूम मे है दमखम ।

वन्य प्राणी भले लगे
इंसानो से लगता डर;
किसी के आगे ना जाने
गाली दे देगा सीनियर।

चार्जशीट सस्पेंड ये तो बस
रोजमर्रा की बात है,
काम अच्छा होने पर भी
तुझे बाते ही सुनाते है।

जंगल मे लंबी पैदल गस्त
या हटाना हो अतिक्रमण;
देर रात हो तो ड्युटी पर
या गांववाले करे अतिक्रमण।

कोई ना देगा साथ अगर तो
खुद ही बन खुद की हमसफर;
छोडना मत उस बुरी नजर को
आवाज उठा कर दे जागर।

काटे जो कोई वृक्ष को
या करे कोई अवैद्य शिकार
उनको देती धर दबोच
तू दूर करे वनों की विकार।1

तन मन अर्पण करके तू
जब रखती है वर्दी की शान;
औरो को तू खलती है
भरते है वो बडो के कान ।

बडे जब तुझे नीचा दिखाये
रखणा उंची गर्दन तू;
ऊँचा रहे सन्मान तेरा
यूँ कर नियमो का मंथन तू।

कभी ना रुक तू, कभी ना थम तू
ना देना दुश्मन को अवसर है,
खूब लढ़जा मर्दानी तू तो
वर्दी वाली अफसर है।

By Kalpana Chinchkhede RFO (K.C.)

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