चंद्रपूर :स्वाब नेचर केयर की ओर से उप वन संरक्षक वन विभाग ब्रह्मपुरी को लिखित पत्र दिया गया। वन क्षेत्रों में तेंदूपत्ता एकत्र करने की अनुमति रद्द करने की मांग करते हुए लिखित पत्र जारी किया।
दरअसल, पिछले साल ब्रह्मपुरी वन प्रभाग के अधिकांश वन क्षेत्र जंगल की आग से तबाह हो गए थे। घोडाझरी अभयारण्य को दो बार जलाया गया था। साथ ही इसी साल 22 मार्च को भी विभिन्न जगहों पर जंगल में आग लगी थी और यह मान लेना गलत नहीं होगा कि ये घटनाएं प्राकृतिक नहीं बल्कि मानव निर्मित थीं.
जब भी वन क्षेत्र में तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए निविदा स्वीकृत की जाती है उस क्षेत्र में और उस वर्ष में वनों मे बडी मात्रा मे आग से तबाह की घटनाएं देखी जाती हैं।
इसी के चलते और क्षेत्र के लोगों के अनुसार कहा जाता है कि तेंदूपत्ता इकट्ठा करने वाले ही जंगल मे आग लगाते हैं ताकी तेंदू के वृक्ष को अधिक पत्ते प्राप्त हो इस भ्रम में तेंदू पत्ते इकट्ठा करने वाले ही जंगल मे आग लगाते हैं। इसलिए, जंगल की आग के मामलों में से 75% वन अग्नि संग्राहक हैं।
इसमे जंगल की आग की घटनाओं में से 10% मोह फूलों के संग्रह के कारण होती हैं। 10% अन्य लोगों द्वारा जला दिया जाता है और केवल 5% मामले प्राकृतिक होते हैं।
अतः तेंदूपत्ता संग्रहण की निविदायें निरस्त की जाये तथा तेंदूपत्ता संग्रहण उस क्षेत्र में प्रतिबंधित किया जाये जहां जंगल जलाया गया है।
ताकि जंगल में आग लगने के बाद तेंदूपत्ता संग्रहण का टेंडर निरस्त कर दिया जाए, ताकि तेंदूपत्ता संग्राहक फिर से इस तरह से जंगल न जलाएं। जिसके चलते वनों की जलाई को काफी हद तक रोका जा सकता है।
इस संदर्भ में उप वनसंरक्षक, वन विभाग, ब्रह्मपुरी को ‘स्वाब नेचर केयर’ की ओर से लिखित पत्र दिया गया ।
इस मौके पर ‘स्वाब नेचर केयर’ के अध्यक्ष यश कायरकर, उपाध्यक्ष स्वप्निल बोधनकर, सदस्य महेश बोरकर, विकास बोरकर, हितेश मुंगमोड़े मौजूद थे।