
ताडोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प में पट्टेदार बाघो की आवाजा ही ज्यादा होने के कारण देश ही नही बल्कि विदेश में भी महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ है। महाराष्ट्र के पहले राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता है, इसे 31 मार्च, 1955 को स्थापित किया गया था। यह 116 वर्ग कि. मी. के क्षेत्र को कवर करता है।
ताडोबा के चारों ओर के 509 वर्ग कि.मी. के जंगल को 25 फरवरी 1986 को संरक्षित किया गया और उसे अंधारी अभयारण्य बनाया गया। समय के साथ बाघों की बढ़ती संख्या को देखते हुए 23 फरवरी 1995 को ताडोबा और अंधारी अभयारण्य को मिलाकर 625.40 वर्ग कि.मी. (क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट एरिया) घोषित किया गया।
ताडोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प के चारों ओर के 1101.77 वर्ग किमी को 2010 में बफर झोन करके घोषित किया गया।
इस बफर झोन में कुल 79 गांव हैं और इन गांव का पुनर्वास नहीं किया जाएगा । सभी क्षेत्रों का प्रबंधन करने के लिए उपसंचालक (कोर), उपसंचालक (बफर) और उपविभागीय वनअधिकारी (वन्यजीव) आलापल्ली को 3 विभागों को विभाजित किया गया है। उन्हें नियंत्रित करने के लिए मुख्य वनसंरक्षक एवं क्षेत्र संचालक, ताडोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प, चंद्रपुर
पर्यटन
ताडोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प में जंगल सफारी के लिए मोहर्ली, खुटवंडा, नवेगाव, कोलारा, पांगडी व झरी ऎसे कुल 6 मुख्य प्रवेश द्वार है। इन सभी प्रवेश द्वार की सफारी आरक्षणों को mytadoba.org पर ऑनलाइन बुक किया जा सकता है।
ताडोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प में प्राकृतिक पर्यटन के लिए स्थानीय पर्यटक के लिए 1 मिनी बस और 4 कैंटर बसें (ओपन बस) उपलब्ध हैं।
ताडोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प के कोंडेगाव, भांमडेळी और सीतारामपेठ में इको डेवलपमेंट कमेटी EDC के माध्यम से इरई बांध के जलाशय में बोटिंग शुरू कर दी गई है। यहां
3 अत्याधुनिक पोंटून बोट उपलब्ध हैं। मोहर्ली गांव के तालाब में काया बोटिंग (पैडल बोट) भी उपलब्ध है।
मोहम्मद सुलेमान बेग
