
यश कायरकर (जिल्हा प्रतिनिधी):
ब्रह्मपुरी वन विभाग द्वारा विभागीय स्तर पर “अग्नि और संरक्षण तथा मानव-वन्यजीव संघर्ष” विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन वन क्षेत्र अधिकारी (प्रादे.) सिंदेवाही कार्यालय में किया गया। इस कार्यशाला में जंगल की आग, वन और वन्यजीव संरक्षण, तथा मानव-वन्यजीव संघर्ष से जुड़े विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई।
कार्यशाला में उपस्थित विशेषज्ञों ने जंगल में लगने वाली आग के प्रकार, इससे होने वाले नुकसान, निवारक उपाय, चिकित्सीय कदम, कानूनी प्रावधान तथा पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों की जानकारी दी। वक्ताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि जंगल में लगाई गई आग हमारे घरों तक पहुंच सकती है और इससे पर्यावरण को भारी क्षति हो सकती है।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि एवं मार्गदर्शक:
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. महेश गायकवाड़, सहायक वनसंरक्षक (तेंदू) ब्रह्मपुरी वन विभाग, ने की। प्रमुख अतिथि और मार्गदर्शक के रूप में यश कायरकर (वन्यजीव अभ्यासक एवं अध्यक्ष, स्वाब नेचर केयर फाउंडेशन), प्राध्यापक हरिभाऊ पाथोडे (राज्य संघटक, अखिल भारतीय अंधविश्वास उन्मूलन समिति), विशाल सालकर (वन परिक्षेत्र अधिकारी, सिंदेवाही), योगश पाटील लोंढे (अध्यक्ष, पुलिस पाटील संघटना, सिंदेवाही), नरेश गहाणे (जिला अध्यक्ष, पुलिस पाटील संघटना), लक्ष्मीकांत कामतवार (अध्यक्ष, संयुक्त वनव्यवस्थापन समिति, गुंजेवाही), राम शेंडे (वन परिक्षेत्र अधिकारी, दक्षिण ब्रह्मपुरी), सचिन नरड (वन परिक्षेत्र अधिकारी, उत्तर ब्रह्मपुरी) और किशोर देऊरकर (वन परिक्षेत्र अधिकारी, चिमुर) उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन एवं समापन:
कार्यक्रम का प्रस्ताविक भाषण नितीन गडपायले (क्षेत्र सहाय्यक, सिंदेवाही) ने दिया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन श्री एन. डब्ल्यु. बुराडे (क्षेत्र सहाय्यक, तांबेगडी मेंढा) ने किया। कार्यक्रम का सफल संचालन चांगदेव चिंचोलकर (वनरक्षक, आर.आर.यु. सिंदेवाही) ने किया।
उल्लेखनीय उपस्थिति:
इस कार्यक्रम में सिंदेवाही तालुका के पुलिस पाटील, सरपंच, ग्राम पंचायत पदाधिकारी, संयुक्त वनव्यवस्थापन समिति के अध्यक्ष व पदाधिकारी, सामूहिक वनहक्क समिति के प्रतिनिधि, सिंदेवाही वन परिक्षेत्र के पीआरटी सदस्य, स्वाब नेचर केअर फाउंडेशन के सदस्य, विभिन्न समितियों के प्रतिनिधि, वनपाल, वनरक्षक, अग्निशमन कर्मी, वनविकास महामंडल के कर्मचारी एवं हंगामी मजदूरों सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
इस कार्यशाला ने जंगल की आग, वन संरक्षण, और मानव-वन्यजीव संघर्ष से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर जागरूकता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।
