
पेंच टाइगर रिजर्व, मध्यप्रदेश में दुर्भाग्यपूर्ण घटना
यश कायरकर :
सिवनी, 20 फरवरी 2025 – मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व के खवासा वन परिक्षेत्र अंतर्गत मोहगांव यादव बीट में एक दर्दनाक घटना सामने आई है। तीन माह के एक बाघ शावक का शव मिलने से वन विभाग में हड़कंप मच गया। चौंकाने वाली बात यह थी कि दूसरा जीवित शावक मृत शावक का मांस खा रहा था।
घटना का विवरण
परिक्षेत्र सहायक, पिपरिया को 20 फरवरी को बाघ शावक के शव देखे जाने की सूचना मिली। सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। घटनास्थल पर एक पहाड़ी नाले के सूखे रेतीले प्रवाह क्षेत्र में एक बाघ शावक मृत अवस्था में पाया गया, जबकि दूसरा जीवित शावक मृत शावक के शव पर आहार कर रहा था। वनविभाग की उपस्थिति से घबराकर जीवित शावक जंगल की ओर चला गया।
दोनों बाघ शावकों की उम्र करीब तीन माह आंकी गई। प्रथम दृष्टया, मृत शावक की मृत्यु प्राकृतिक प्रतीत हो रही थी। इसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई, जिसके बाद क्षेत्र संचालक, पेंच टाइगर रिजर्व सिवनी, सहायक संचालक, और वन परिक्षेत्र अधिकारी मौके पर पहुंचे।
मादा बाघ नहीं आई शावक को लेने
घटना स्थल पर वन विभाग ने कैमरा ट्रैप लगाए ताकि यह पता लगाया जा सके कि मादा बाघ अपने जीवित शावक को लेने वापस आती है या नहीं। पूरी रात दो निगरानी दलों ने बारीकी से नजर रखी। रात के दौरान जीवित शावक फिर से मृत शावक के पास आया लेकिन थोड़ी देर बाद वापस चला गया। हालांकि, मादा बाघ अपने शावक को लेने नहीं आई।
विशेषज्ञों के अनुसार, बाघों में यह व्यवहार सामान्य होता है। स्वस्थ शावकों की रक्षा करने के लिए मादा बाघ अक्सर कमजोर और भूखे शावकों का त्याग कर देती है। ऐसा ही इस मामले में भी देखने को मिला।
रेस्क्यू ऑपरेशन और उपचार
सुबह होते ही वन विभाग ने जीवित शावक के रेस्क्यू की प्रक्रिया शुरू की। शावक बेहद कमजोर था और झाड़ियों में छिपा हुआ था। चूंकि बेहोशी की दवा देना खतरनाक हो सकता था, इसलिए पेंच टाइगर रिजर्व के रीजनल रेस्क्यू स्क्वाड के सदस्य गुरुप्रसाद रजक ने अपने कौशल का उपयोग कर बिना निश्चेतक (सिडेटिव) के शावक को सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया।
बाघ शावक को खवासा स्थित क्वारंटीन सेंटर एवं वन्य प्राणी अस्पताल लाया गया, जहां प्रारंभिक जांच और चिकित्सा प्रदान की गई। परीक्षण में यह पाया गया कि जीवित शावक मादा है। वहीं, मृत शावक का शव पोस्टमार्टम के लिए खवासा लाया गया, जहां एनटीसीए (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) के दिशा-निर्देशों के तहत उसका शव परीक्षण किया गया। जांच में पता चला कि शावक की मौत भूख और कमजोरी के कारण हुई थी।
एनटीसीए के दिशानिर्देशों के अनुसार, भस्मीकरण समिति की देखरेख में मृत शावक का अंतिम संस्कार किया गया। दूसरी ओर, बचाए गए जीवित शावक का उपचार विशेषज्ञ वन्यप्राणी चिकित्सकों द्वारा किया जा रहा है।
निष्कर्ष
यह घटना पेंच टाइगर रिजर्व में वन्यजीव संरक्षण और निगरानी की महत्वपूर्ण आवश्यकता को दर्शाती है। वन विभाग लगातार प्रयासरत है कि कमजोर और परित्यक्त शावकों को समय रहते उचित देखभाल दी जाए। हालांकि, बाघों के प्राकृतिक व्यवहार को समझना भी आवश्यक है, क्योंकि मादा बाघ अपने स्वस्थ शावकों को प्राथमिकता देने के लिए कमजोर शावकों को त्याग सकती है। वन्यजीव विशेषज्ञों की निगरानी में जीवित शावक की सेहत में सुधार लाने के प्रयास जारी हैं।
