(चंद्रपुर जिले की यह दुसरी घटना)
भद्रावती के चालबर्डी खेत परिसर की घटना
यश कायरकर (जिला प्रतिनिधी):
नये साल की सुरूवात के साथ ही भारत में बाघ मरने की घटनाओं की शुरुआत भी चंद्रपुर जिले से ही हुई। और 2023 के अंतिम महीने में बाघ करने की घटनाएं चंद्रपुर जिले में ही हुई थी । ऐसा प्रतीत होता है की यह सिलसिला अब रुकने का नाम नहीं ले रहा है। जिसके तहत कल भद्रावती तहसील के चालबर्डी के खेत परिसर में एक बाघ कुएं में मरा हुआ पाया गया। शायद शिकार की तलाश में एक बाघ बिना कठडों के कुएं में गिर गया होगा जिससे उसकी मौत हो गई ऐसा वनविभाग का अनुमान है। जो कि बाघ की मौत तीन दिन पहले हुई है। यह बाघ 5 वर्ष का नर बाघ है । जिले में नए साल की शुरुआत में और भारत देश में प्रथम अपने ही जिले से बाघों की मौतों के सिलसिले की शुरुआत होकर 1 हप्ते में 2 बाघों की मौत होने से वन्यप्रेमियों में मायूसी है। इसके पहले भी 15 जनवरी 2024 को 2 बाघों के संघर्ष में एक बाघ की ताड़ोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प के बफर क्षेत्र में बोर्डा सर्वे क्र. 250-1 में एक खेत में गश्त के दौरान बाघ मृत अवस्था में पाया गया था।
चालबर्डी के खेत सर्वे क्र. 54 में एक नर बाघ शिकार की तलाश में बिना कठडों वाले कुएं में गिरकर मर गया। यह जानकारी 3 दिन बाद वनरक्षक जे ई देवगड़े को मिली। उन्हें जानकारी मिलते ही भद्रावती वन परिक्षेत्र अधिकारी एच.पी. शेंडे को दी। जानकारी मिलते ही घटनास्थल पर वन संरक्षक जी. आर. नायगमकर ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। उन्हें एक नर जाति के बाघ का सड़ी-गली अवस्था में शव मिला। बाघ के शव को TTC चंद्रपुर ले जाया गया। वहां डा. कुन्दन पोडचलवार और डॉ. आर एस रोडे ने पोस्टमार्टम किया। वन विभाग की ओर से घटना की आगे की जांच जारी हैं।
जिले में 1 हप्ते में 2 बाघों की मौत, तो ढाई महीने में जिले में 9 बाघों की मौतें। क्या यह सिलसिला साल भर जारी रहेगा?
पिछले ढाई महीने में चंद्रपुर जिले में कुल 9 बाघों की मौत हुई है. चिमूर वनपरिक्षेत्र में 14 नवम्बर 2023 को 2 बाघों के संघर्ष में 1 बाघ की मौत हुई थी उसके बाद 18 नवम्बर 2023 को ताड़ोबा में प्राकृतिक रूप से बाघ की मौत हो गई थी। 10 दिसम्बर 2024 को वरोरा वनपरिक्षेत्र में हादसे में बाघ की मौत, तो 14 दिसम्बर 2023 को पलसगांव में प्राकृतिक रूप से बाघ की मौत हुई थी । उसके बाद, 21 दिसम्बर 2023 को बिजली का करंट लगने से सिंदेवाही परिक्षेत्र में बाघ की मौत हुई थी। उसके बाद 24 दिसम्बर 2024 को शिकार की तलाश में कुएं मे गिरने से तलोधी बा. वनपरिक्षेत्र में बाघ की मौत हुई थी। और सोमवार 25 दिसम्बर 2023 को सावली वनपरिक्षेत्र में सड़ी गली हालात में मादा बाघिन का शव पाया गया, नये साल में फिर से जिले में 15 जनवरी को ताड़ोबा अंधारी बाघ परियोजना के बफर क्षेत्र में बोर्डा सर्वे क्रमांक 250-1 में एक खेत में गश्त के दौरान बाघ का मृत अवस्था में शव पाया गया। दो बाघों के बीच हुए संघर्ष में बाघ की मौत होने की आशंका जताई गयी थी। उस बाघ की शिनाख्त टी -51 के तौर पर की गई थी और कल भद्रावती तहसील के चालबर्डी के खेत परिसर में एक बाघ कुएं में मर हुआ पाया गया है। इस तरह पिछले ढाई महीने से लगातार जिले में बाघों के मौतों का सिलसिला यूं ही चलता जा रहा है।
क्या यह सिलसिला साल भर जारी रहेगा? क्या यह बाघों की मौतों का सिलसिला यूं ही चलता रहेगा ? या इसे रोका जा सकता है? इस तरह बाघों की मौतें होने से चंद्रपुर जिले में बाघों की बढ़ती आबादी के साथ-साथ से मानव -वन्यजीव संघर्ष और साथ ही अब बाघों को बचाने की कोशिशों को लेकर वनविभाग को गंभीरता से सोचना ज़रूरी हो गया है। अन्यथा भविष्य मे कागजो पर ही बाघ रहेंगे।