मोहम्मद सुलेमान बेग :
मिली जानकारी के मुताबिक 18 फरवरी वघळपेठ इलाके में रात के समय तीन भालू घूम रहे थे। कुएं को मुहं नहीं होने के कारण दो वर्षीय नर भालू रात के समय कुएं में गिर गया। आसपास के किसान और नागरिकों ने सुबह कुएं के आसपास दो भालू को घूमते देखा। इससे नागरिकों को संदेह हुआ कि कुएं के पास कुछ तो हुआ है और वे जब मौके पर पहुंचे तो देखा कि कुएं में एक भालू गिरा हुआ है। नागरिकों ने देखा कि भालू कुएं में पड़ा हुआ और खुद को बचाने के लिए काफी समय से संघर्ष कर रहा है इस वजह से भालू थक कर चूर हो गया है।
क्षेत्र के नागरिकों ने भालू के कुएं में पड़े होने की सूचना संबंधित वनरक्षक को दी। और वनरक्षक ने घटना की जानकारी वनपरिक्षेत्र अधिकारी किशोर देऊलकर को दि और उन्होंने वनविभाग की एक टीम को घटना स्थल के लिए रवाना किया और खुद भी घटना स्थल पर पहुंचे।
वनविभाग और मौजूद नागरिकों ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर नर भालू को बचाने की पुरी कोशिश की लेकिन उनकी कोशिश नाकाम रही। कहा जाता है वनपरिक्षेत्र अधिकारी किशोर देऊलकर मौके पर पहुंचने से पहले ही नर भालू की मौत हो गई थी।
और वन क्षेत्राधिकारी आऊतकर भी देर से मौके पर पहुंचे।
हालांकि जानकारी सामने आयी है कि ये दोनों अधिकारी गश्त पर काम कर रहे थे।
इस घटना को देखने वाले नागरिकों का कहना है कि कुएं में दो साल के नर भालू का संघर्ष, जो खुद को बचाने के लिए कई घंटों संघर्ष करता रहा, दिल दहला देने वाला था। बचाव प्रयास विफल होने के बाद मृत भालू को कुएं से बाहर निकाला गया।
चिमूर तालुक के पशुचिकित्सा अधिकारी छुट्टी के कारण कार्यालय में मौजूद ना होने से भालू को पोस्टमार्टम के लिए सिंदेवाही ले जाया गया । पोस्टमार्टम के बाद सिंदेवाही में ही भालू का अंतिम संस्कार किया गया।
मौजा कोटगांव चिमूर तालुका के अंतर्गत एक समूह ग्राम पंचायत है। वाघलपेट शेतशिवार क्षेत्र मे युवराज सीताराम गुरपुडे का एक खेत है। यह सब इसलिए हुआ क्योंकि उनके खेत में बिना मुँह का कुआँ था।
“ऐसें बिना मुँह के कुओं वालों पर कारवाही होनी चाहिए। हर दिन कई जंगली जानवर ऐसे कुओं में गिरकर मर रहे हैं। वनविभाग को उन लोगों की भी मदद करनी चाहिए जिस तरह सोलर कुंपन के लिए वन विभाग मदत करती है। और जो कुए को खुला राखते उनपर कारवाही करना चाहिए । ताकी भविष्य मे इस तरह की घटना ना हो” ऐसा परिसर के वन्यजीव प्रेमियों ने वन समाचार संवाददाता को बताया।