विदर्भ में अब तक में 36 बाघों की मौत, इनमे 19 बाघों की मौतें अकेले चंद्रपुर जिले के जंगलों में
जिल्हा प्रतिनिधी (यश कायरकर) :
दि. 14 डिसेंबर 2023 को ए. बी. गेडाम, क्षेत्र सहायक, मदनापुर के साथ एन. एस. बनकर, वनरक्षक मदनापुर एवं अन्य वनकर्मी प्रातः लगभग 7.00 बजे मदनापुर (तुकुम) झील के निकट संयुक्त वन में गश्त करते वक्त सर्वे नं. 40 में बाघ मृत पाया गया। फिर उन्होंने श्रीमती योगिता आत्राम, वनपरिक्षेत्र अधिकारी, पलसगांव को जानकारी दी । इसके बाद जब मौके पर जाकर निरीक्षण किया तो प्राथमिकता पता चला कि बाघ की मौत दो बाघों की लड़ाई में हुई है। उक्त घटना के संबंध में कुशाग्र पाठक उप निदेशक (बफर), ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व, चंद्रपुर और डॉ. जितेंद्र रामगांवकर क्षेत्रीय निदेशक और वन संरक्षक, ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व, चंद्रपुर को सूचित किया और उनके मार्गदर्शन में डॉ. कुन्दन पोडचेलवार, पशु चिकित्सा अधिकारी टी.टी.सी. चंद्रपुर, और डॉ.श्रद्धा राऊत चिमूर की पशु चिकित्सा अधिकारी ने उक्त मृत बाघ का निरीक्षण कर और मृत बाघ का शवविच्छेदन किया। विसरा एकत्रित कर मेडिकल परीक्षण हेतु भेजा गया। तथा प्रारंभिक अनुमान लगाया गया कि उक्त बाघ की मृत्यु 2 बाघों की लड़ाई में हुई है।
घटना स्थल का निरीक्षण करने पर अनुमान लगाया गया कि मृत बाघ एक शावक लगभग 16 से 18 माह का है। वन अधिकारियों ने अनुमान लगाया है कि बाघ को मारने वाला बाघ ‘झायलो’ है जो इस इलाके में घूम रहा है और उसके शव से अनुमान लगाया जा रहा है कि मृत बाघ के शावक को पांच दिन पहले मारा गया है। और बाघ ने मृत बाघ के शरीर का 80% हिस्सा खा लिया था। इसलिए केवल सिर और पेट का हिस्सा ही बचा था।
मृत बाघ के शरीर को शवविच्छेदन करके आग से नष्ट कर दिया गया।
उक्त कार्यवाही में कुशाग्र पाठक उप निदेशक (बफर), ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व, चंद्रपुर, योगिता आत्राम, वन परिक्षेत्र अधिकारी पलसगांव, विवेक करम्बेकर, मानद वन्यजीव वार्डन, ब्रम्हपुरी, ए. बी. गेडाम, क्षेत्र सहायक मदनापुर, एन.एस. बनकर, वनरक्षक मदनापुर एवं पलसगांव क्षेत्र का समस्त स्टाफ उपस्थित थे।
अभी तक देश में 150 से ज्यादा बाघों की मौत हो चुकी है। इसमे महाराष्ट्र में 44 से ज्यादा बाघों की मौत हो चुकी है। जिसमें से विदर्भ में 36 बाघों की मौतें, और जानकारी के अनुसार उनमें से 19 बाघों की मौत अकेले चंद्रपुर जिले के जंगलों में हुई है। महाराष्ट्र 444 बाघों के साथ बाघों की आबादी के मामले में चौथे स्थान पर है, लेकिन बाघों की मौत की संख्या महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा है। इनमें से कई मृत बाघों को ‘प्राकृतिक मौतों’ के रूप में दर्ज किया गया है, लेकिन इन प्राकृतिक मौतों के अप्राकृतिक कारण हो सकते हैं। बिजली का झटका, जहर खुरानी, आपसी रंजिश, और अवैध शिकार जैसे मानव-वन्यजीव संघर्ष के कारण बढ़ते जा रहे हैं। इसलिए भारत में बाघों की संख्या पर इसका असर पड़ने की आशंका वन्यजीव विशेषज्ञों द्वारा जताई जा रही है। साथ ही बाघ अभयारण्य बफर और गलियारों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। बाघों की मौत के पीछे यह भी कारण हैं।