मोहर्ली में पर्यटन सुविधाओं का उद्घाटन, ताडोबा विकास को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने का संकल्प : वन मंत्री मुनगंटीवार

0
666

चंद्रपूर (मोहम्मद सुलेमान  बेग) :
ताडोबा अंधारी बाघ परियोजना हमारे लिए परमेश्वर का वरदान है। दुनियाभर से लाखों पर्यटक ताडोबा बाघ परियोजना में आते हैं। बाघ दर्शन के लिए आने वाला पर्यटक यहाँ से चंद्रपुर का नाम हमेशा के लिए अपने साथ ले जाता है। यहाँ आने वाले पर्यटकों की दृष्टि में ताडोबा और चंद्रपुर का नाम उनके जीवन की धरोहर होनी चाहिए। इसके लिए पर्यटकों के साथ हमारा व्यवहार हमेशा अच्छा होना चाहिए, क्योंकि यहाँ आने वाला हर पर्यटक हमारे लिए देवता समान है। यह भावना राज्य के वन मंत्री और जिले के संरक्षक मंत्री, श्री सुधीर मुनगंटीवार ने व्यक्त की।

मोहर्ली में पर्यटन प्रवेशद्वार, परिसर, प्रकृति सूचना केंद्र और अन्य सुविधाओं का उद्घाटन माननीय श्री सुधीर मुनगंटीवार के हाथों हुआ। उस समय वे बोल रहे थे। इस अवसर पर मंच पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख शोमिता विश्वास, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक विवेक खांडेकर, वन अकादमी के निदेशक एम. एस. रेड्डी, क्षेत्र निदेशक और मुख्य वन संरक्षक डॉ. जितेंद्र रामगावकर, उप निदेशक (कोर) आनंद रेड्डी येल्लू, उप निदेशक (बफर) पियुषा जगताप, उप वन संरक्षक श्वेता बोड्डू, प्रसिद्ध डॉक्टर और प्रकृति प्रेमी रमाकांत पांडा, महाराष्ट्र प्रकृति पर्यटन मंडल के सदस्य प्रकाश धारणे, अरुण तिखे, मोहर्ली की सरपंच सुनीता कातकर, पद्मापुर की सरपंच आम्रपाली अलोने आदि उपस्थित थे।

श्री मुनगंटीवार ने कहा, चंद्रपुर जिले के लिए आज अत्यंत खुशी का दिन हैहमारा हमेशा यही प्रयास रहता है कि चंद्रपुर हमेशा आगे रहेबाघ पर्यावरण का मित्र है, और ताडोबा हमारे लिए परमेश्वर का वरदान है, जिसकी रक्षा हमें करनी हैबाघों का संरक्षण करने के कारण ही जिले में बाघों की संख्या बढ़ी है। चंद्रपुर पर्यटन के माध्यम से आगे बढ़े, इसके लिए हम सिंगापुर की तर्ज पर चंद्रपुर में सफारी शुरू कर रहे हैं। सफारी के लिए आने वाले पर्यटक सैनिक स्कूल, आर्मी म्यूजियम, बॉटनिकल गार्डन, वन अकादमी, एसएनडीटी विश्वविद्यालय आदि का आनंद ले सकेंगे। चंद्रपुर में बाघों की संख्या सबसे अधिक है।”

चंद्रपुर के विकास के लिए पूरी शक्ति से काम करूंगा। मोहर्ली, ताडोबा, बफर झोन और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए हम पूरी ताकत से काम कर रहे हैं। साथ ही, हर गांव को आत्मनिर्भर बनाने का हमारा संकल्प है। हम सब मिलकर ताडोबा का विकास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करेंगे। इसके लिए सभी वन मजदूरों, वन अधिकारियों, वन रक्षकों, वन सेवकों और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का महत्वपूर्ण योगदान है, ऐसा भी पालकमंत्री ने कहा।

 गाईड एवं जिप्सी असोसिएशन को 25 लाख रुपये दिए जाएंगे
वन विभाग में हमने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। एफडीसीएम के माध्यम से वन कर्मियों को लंबित भुगतान दिया गया है। हर वन परिक्षेत्र अधिकारी को वाहन उपलब्ध कराने के लिए हमने जोरदार भूमिका निभाई है। साथ ही, ताडोबा फाउंडेशन से गाईड एवं जिप्सी असोसिएशन को 25 लाख रुपये देने का निर्णय लिया गया है। गाईड एवं जिप्सी असोसिएशन का व्यवहार अच्छा होगा, तभी पर्यटक संतुष्ट होंगे और जिले का नाम ऊंचा होगा।

प्रकृति पर्यटन केंद्र को स्व. रतन टाटा का नाम :
प्रसिद्ध उद्योगपति स्व. रतन टाटा का चंद्रपुर से कोई व्यावसायिक संबंध नहीं था, फिर भी उनका चंद्रपुर से एक विशेष लगाव था। रतन टाटा ने राज्यपाल के राजभवन में मोर संरक्षण के लिए निधि उपलब्ध कराई। इसके अलावा, उन्होंने जानवरों के रेस्क्यू सेंटर के लिए 25 करोड़ रुपये दिए। सरकार और टाटा ट्रस्ट के माध्यम से चंद्रपुर में कैंसर केयर अस्पताल बन रहा है, जिसके लिए टाटा ने 100 करोड़ रुपये की दान राशि दी है। बांबू अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र के वास्तुकार के लिए टाटा ने 3 करोड़ रुपये दिए। कृषि व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने यहां के 90 गांवों को गोद लिया। स्व. रतन टाटा का स्मारक चंद्रपुर में बनाया जाएगा, यह जानकारी माननीय श्री मुनगंटीवार ने दी। इसी समय उन्होंने प्रकृति सूचना केंद्र को स्व. रतन टाटा का नाम देने की भी घोषणा की।

ग्राम पर्यावरण विकास समितियों को चेक वितरण:
इस अवसर पर ग्राम पर्यावरण विकास समितियों को 3 लाख 50 हजार रुपये का चेक माननीय मुनगंटीवार द्वारा प्रदान किया गया। इनमें खुटवाड़ा, भोसरी, काटवल, वडाला, कोकेवाड़ा, बिलोड़ा, किन्हाला, सोनेगांव, आष्टा, निमबाला, चेकबोर्ड, मामला, हल्दी, अर्जुनी, वायगांव, झरी, घंटाचौकी, दुधाला, मोहर्ली, घोडेगांव, मुधोली, आगरझरी, सितारामपेठ, भांमडेली आदि गांव शामिल थे।

चरवाहों को स्मार्ट स्टिक का वितरण :
इस अवसर पर चरवाहों को वन मंत्री श्री सुधीर मुनगंटीवार के हाथों स्मार्ट स्टिक का वितरण किया गया। इसमें मारुति जांभुले, गणेश श्रीरामे, बुद्रुक कुलसंगे, अंकुश केदार, नरेंद्र डडमल, प्रकाश कन्नाके, लक्ष्मण तोफे, जयंत गडमल, विश्वनाथ मरसकोल्हे, मारुति आत्राम, राहुल आत्राम, वासुदेव सिडाम, परशुराम मडावी आदि शामिल थे। इससे पहले, वन मंत्री के हाथों अनंत सोनवणे द्वारा लिखित पुस्तक ‘एक थी माया’ का विमोचन किया गया। कार्यक्रम की प्रस्तावना मुख्य वन संरक्षक और क्षेत्रीय निदेशक डॉ. जितेंद्र रामगावकर ने की, जबकि संचालन ऐश्वर्या भालेराव ने किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here