
मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गुजरात के ‘वनतारा’ मॉडल से प्रेरित होकर एक निजी वित्तपोषित वन्यजीव अभयारण्य स्थापित करने की योजना बनाई है। राज्य के वन मंत्री गणेश नाईक ने बुधवार को विधानसभा में बताया कि इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार से अनुमोदन मांगा गया है, साथ ही इसके लिए देशभर के उद्योगपतियों से आर्थिक सहायता प्राप्त करने की योजना भी बनाई जा रही है।
प्राकृतिक आवास और पुनर्वास पर विशेष ध्यान
यह प्रस्तावित अभयारण्य उन वन्यजीवों के लिए एक सुरक्षित प्राकृतिक आवास प्रदान करेगा, जिन्हें बचाव और पुनर्वास की आवश्यकता है। यह परियोजना गुजरात के जामनगर स्थित 3,000 एकड़ में फैले ‘वनतारा’ की तर्ज पर विकसित की जाएगी, जो वन्यजीवों के बचाव और पुनर्वास के लिए समर्पित है।
तेंदुओं की बढ़ती उपस्थिति से जुड़ा मामला
इस परियोजना की घोषणा तब हुई जब विधायकों काशीनाथ दाते और मंगेश चव्हाण ने खेतों और शहरी इलाकों में तेंदुओं की बढ़ती उपस्थिति पर चिंता व्यक्त की। इसे देखते हुए सरकार उद्योगपतियों को वन्यजीव बचाव और पुनर्वास केंद्र स्थापित करने की अनुमति देने पर भी विचार कर रही है।
बाघ संरक्षण में उल्लेखनीय सफलता
मंत्री नाईक ने राज्य में बाघ संरक्षण की उपलब्धियों को भी उजागर किया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2000 में महाराष्ट्र में बाघों की संख्या 101 थी, जो इस वर्ष बढ़कर 444 हो गई है। यह राज्य की प्रभावी वन्यजीव संरक्षण नीतियों का प्रमाण है।
संरक्षण प्रयासों को मिलेगा बढ़ावा
सरकार का मानना है कि एक समर्पित वन्यजीव अभयारण्य की स्थापना से न केवल वन्यजीवों को सुरक्षित वातावरण मिलेगा, बल्कि इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष भी कम होगा। इसके अलावा, यह परियोजना महाराष्ट्र में वन्यजीव पर्यटन और संरक्षण प्रयासों को और अधिक गति प्रदान करेगी।
