
झारखंड का पलामू टाइगर रिजर्व, जो कभी बाघों की आबादी पर गर्व करने वाला रिजर्व था अब लगभग 150 तेंदुओं का सुरक्षित ठिकाना है। यह सुनने में अजीब लग सकता है लेकिन यह सच है । वन अधिकारियों का कहना है कि फरवरी 2020 के बाद से अबतक कोई बाघ नहीं देखा गया है। 1973-74 में पलामू को संरक्षित वन आरक्षित घोषित किया गया था जब प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया था।
यहां पर्यटक इन दिनों पलामू टाइगर रिजर्व में तेंदुओं की एक छलांग और सेल्फी लेने के लिए भीड़ उमड़ती है।
जानकारी के अनुसार, 1995 में 71 बाघ जो सबसे ज्यादा बाघ की आबादी होने का दर्ज किया था । उसके बाद 2014 में केवल तीन बाघ होने का दर्ज किया है । उसके बाद 2019 में कोई बाघ नहीं था।
वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक (सी.सी.एफ.) और परियोजना निदेशक, पी.टी.आर वाय.के. दास ने कहा कि हम बाघों की वापसी की सुविधा के लिए सभी प्रयास कर रहे हैं।
