ताडोबा के शहनाज बेग को महाराष्ट्र का पहला सर्वश्रेष्ठ गाइड पुरस्कार 2023 “जीविधा” संस्थान द्वारा प्रदान

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भारत में वन्यजीव संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक प्रोजेक्ट टाइगर, ने 50 वर्षों का सम्मान पूरा किया है और इस सफल परियोजना के स्वर्ण महोत्सव की अनुच्छेद दिखाने के लिए जीविधा संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम 01 दिसंबर 2023 को शाम 06 बजे यशवंत चव्हाण कलादालन में एक प्रदर्शनी में, महाराष्ट्र के पहले सर्वश्रेष्ठ गाइड पुरस्कार से सम्मानित ताड़ोबा अंधारी टाइगर रिझर्व के मोहर्ली गेट पर कार्यरत महिला गाइड शहनाज बेग को माहिती उपसंचालक डॉ. राजीव पाटोदकर, उपसंचालक महादेव मोहिते एवं  जीविधा संस्था के संस्थापक राजीव पंडित के हाथों से मानपत्र, सन्मान चिन्ह प्रदान किया गया। इस समय वृदा पंडित, ओंकार बापट समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे।


इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. पाटोदकर ने कहा कि “बाघों की संख्या बढ़ाना चाहीए, यह एक कठिन काम है और इसे संरक्षित किया जाना चाहिए। ऐसे मे जंगल सफारी मे बाघ दिखाने वाले पर्यटक गाइड का काम कितना महत्वपूर्ण  होता है यह समझना भी जरूरी है”।
इसके अलावा उपसंचालक महादेव मोहिते ने कहा कि बाघों को पालने के लिए लगभग 500 हिरणों का होना जरुरी होता है साथ ही 200 एकड़ जंगल होना चाहीए और साथ ही घास के मैदानों को संरक्षित किया जाना चाहिए और पुणे जिले में कई भेड़िये हैं। उनका भी होना बहुत जरूरी हैं।

पर्यटक गाईड शहनाज बेग के मुताबिक, ताडोबा इलाके में पैदा होने और वनविभाग से जुड़ी पारिवारिक पृष्ठभूमि होने के कारण गाईड का काम करना आसान हो गया। बचपन से देखते आ रहे जंगल मे सफारी करना और जानकारी देना मुझे बहोत अच्छा लगता है। हर व्यक्ति को प्रकृति, जंगल से प्यार करना चाहिए। मार्गदर्शक बनना बहुत चुनौती पूर्ण है यह समझना चाहिए । अक्सर सैलानीयो से भी बहुत सारी जानकारी  सीखने मिलती हैं।

वन समाचार के प्रतिनिधी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि गाईड का काम करते समय मुझे कई चुनौतियों का सामना करना पडा है और इसके लिए मुझे सहयोग करने वाले श्रमिक एल्गार संघटन की पारोमिता गोस्वामी एवं कल्याण कुमार तथा वन विभाग के उस समय ताडोबा जंगल में कार्यरत क्षेत्र संचालक गणपती गरड सर, अनिरुद्ध चावजी सर, मृगांक सावे सर, और  साथ ही चंद्रपूर के पत्रकार, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं सोशल मीडिया के सभी मित्रों ने भी सहयोग किया।
मैं आज इस कार्यक्रम में उपस्थित हूं और यहां आने के लिए ताडोबा कोअर के उपसंचालक नंदकिशोर काळे सर ने भी सहयोग किया है। मैं उन सभी का बहुत आभार मानती हूं और मैं जीविधा संस्थान के संस्थापक राजीव पंडित सर का भी बहुत आभारी हूं जिन्होंने मुझे सम्मान के योग्य समझा है।

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