वन विभाग एवं हॅबिटॅट कंझर्वेक्षण सोसायटी,चंद्रपुर की ओर से सारस क्रेन का जनजागृती कार्यक्रम आयोजित किया गया

0
550

चंद्रपूर : पूरे महाराष्ट्र में इसका अस्तित्व खतरे में है केवल भंडारा-गोंदिया जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में सारस क्रेन पाया जाता है।
वन्यजीव संगठनों और वनविभाग को इन पक्षियों के संरक्षण के लिए पहल करने की जरूरत है।
सारस क्रेन पक्षियों का प्राकृतिक महत्व कीटों को नियंत्रित करना है।  इसलिए यह पक्षी फसलों के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। खेत की जडे उनके दबाव से पोषक तत्व प्राप्त होता हैं।
वन्यजीव सप्ताह के अवसर पर मोहर्ली सभागृह में इन खूबसूरत पक्षी की रक्षा के लिए जागरूकता कार्यक्रम 02 ऑक्टोबर 2022 को वनविभाग एवं हैबिटेट कंजर्वेशन सोसायटी,चंद्रपुर की ओर से आयोजन किया गया।
हॅबिटॅट कंझर्वेक्षण सोसायटी, चंद्रपुर की ओर से, “द लास्ट कॉल” को चंद्रपुर जिले के अंतिम सारस पर फिल्माया गया था।
चंद्रपुर जिले में सारस का इतिहास गोंड काल का है और इसके चित्र महाकाली मंदिर पर उकेरे जाने के प्रमाण हैं, और सारस का अस्तित्व जूनोना झील के “रानी महल” में पाया जाता है।
चंद्रपुर जिले में सारस की संख्या 7 थी, समय के साथ जहर अवरोध, शिकारियों, आवास हानि के कारण सारस की संख्या तेजी से घटी, इसी सारस की आखिरी जोड़ी का चूजा कहा जाता है, क्योंकि यह सवाल उठता है कि आबादी कैसे बढ़ेगी क्योंकि उसके पास एक साथी नहीं है, हैबिटेट कंजर्वेशन सोसाइटी ने वन विभाग को लिखा है,
गोंदिया में एक पक्षी विज्ञानी से संपर्क किया गया ताकि वह एक साथी खोजने की कोशिश कर सके, लेकिन सफलता नहीं मिली। लेकिन दुर्भाग्य से हम आखिरी सारस को नहीं बचा सके।
कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए संस्था के दिनेश खाटे, शशांक मोहरकर रोहित बेलसरे, करन तोगेट्टीवार, आदित्य धारणे, आयुष्य ढोरे, अमित देशमुख, ओमकार मत्ते, सुकन्या गिरडकर, शेफाली नंदनवार, मोहर्ली वनपरिक्षेत्र (वन्यजीव) क्षेत्र सहाय्यक विलास सोयम,  वनरक्षक पवन मंदूलवार, पवन देशमुख, पवार, प्रियांका जावडेकर, स्नेहा महाजन, सुमीता मट्टामी, पर्यटक मार्गदर्शक, वन्यजीव प्रेमी अजय पोद्दार, प्रामिक खन्नन ने भाग लिया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here