चंद्रपूर (मोहम्मद सुलेमान बेग): घोड़ाझरी वन्यजीव अभयारण्य, महाराष्ट्र, भारत में स्थित एक प्रमुख जंगल संरक्षण क्षेत्र है। यह छोटासा संरक्षण क्षेत्र है, जो नागपुर और चंद्रपुर शहरों के बीच में स्थित 159.79 वर्ग किलोमीटर तक का क्षेत्रफल है।
(Ghodazari Sanctuary) घोड़ाझरी अभयारण्य में अनेक प्रकार के जीव-जंतु पाए जाते हैं, जैसे कि बाघ, तेंदूआ, हिरन, नीलगाय, सांभर, चिंकारा, जंगली बिल्ली, हायेना, लोमड़ी, जैकल, वाइल्ड डॉग, फ्लाइंग स्क्विरल, पाइथन, कोबरा, क्रेट और अनेक प्रकार के पक्षियों जैसे कि पिपल, बटेर, तीतर, मूरहन, बटेर, मोर, जंगल बैबलर, बुलबुल, वुडपेकर आदि।
इस संरक्षण क्षेत्र में आप जंगल सफारी, पक्षी देखभाल, ट्रेकिंग और प्रकृति ट्रेल्स का आनंद ले सकते हैं। घोड़ाझरी अभयारण्य एक ऐसा स्थान है जहां आप प्रकृति के साथ जुड़कर सफर कर सकते हैं और जंगल के वन्य जीवन को देख सकते हैं।
ऐसे संवेदनशील क्षेत्र के गेट पर तैनात कर्मचारियों को बंद करके गेट को खुला कर दिया गया है। जिसके चलते अनगिनक क्राइम होने की संभावना है। वनविभाग की ओर से गेट पर तैनात कर्मचारी को पगार देने पैसे न होने से उन्हे बंद किया गया और गेट को खुला किए जाने की बात सामने आयी है।
घोड़ाझरी वन्यजीव अभयारण्य में गेट स्टाफ के वेतन का भुगतान बरसात के मौसम में पर्यटकों से होने वाली आय से किया जा सकता है। कहा जाता है कि घोड़ाझरी वन्यजीव अभयारण्य में बरसात के मौसम में सालाना आठ से दस लाख आय होती हैं।
इस पर्यटन क्षेत्र में प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोग पर्यटन के लिए घोड़ाझरी झील आते हैं, जिससे इस गेट पर रोजाना हजारों रुपये का कारोबार होता है, फिर भी गेट पर तैनात जवानों के लिए वन विभाग के पास निधी नहीं है। यह सोचने वाली बात है।
क्या घोड़ाझरी अभयारण्य की मान्यता रद्द कर दी गई है? इसलिए इस जंगल को खुला छोड़ने की बात सामने आयी है।
मिली जानकारी के अनुसार इस क्षेत्र में पहले भी भारतीय गौर की सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी थी और इस क्षेत्र में चोरी की कई घटनाएं भी हो चुकी हैं। ऐसे में घोड़ाझरी वन्यजीव अभयारण्य के गेट पर कर्मचारियों की कमी होने से चोरों के लिए चोरी करना आसान हो जाएगा।
इसपर वन्यजीव प्रेमी ने वन समाचार के संवाददाता से कहा कि वन अधिकारियों को इस गंभीर मामले पर ध्यान देना चाहिए और वन संपदा को चोरी से बचाने के लिए गेट स्टाफ तैनात करना चाहिए।