चंद्रपुर जिले में बाघों के हमले : 2024 में 21 मौतें, मानव-वन्यजीव संघर्ष गंभीर

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चंद्रपुर (मोहम्मद सुलेमान बेग) :

2024 में चंद्रपुर जिले में बाघों के हमलों में 21 लोगों की मृत्यु की पुष्टि हुई है। जनवरी से दिसंबर तक की इस अवधि में बाघों के हमलों में वृद्धि ने जिले के निवासियों के बीच डर और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है। मृतकों में 5 महिलाएं और 16 पुरुष शामिल हैं।
यह स्थिति जिले में बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीरता को उजागर करती है। इन घटनाओं ने प्रशासन और वन विभाग के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं, जो इन हमलों को रोकने और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।

मृत व्यक्तियों के नाम:

श्यामराव तिडयूरवार, बल्लारपुर, रामचंद्र हनवते, खडसंगी वनक्षेत्र, श्रीकृष्ण सदाशिव कोठेवार, पळसगांव (जाट), लालबची चौव्हान कारवा जंगल, बल्लारपूर, नामदेव मोतीराम आत्राम कारवा जंगल, बल्लारपूर, श्रीमती दीपा दिलीप गेडाम, शिवनी वनपरिक्षेत्र के कुकडहेटी बामणीमाल, आशिष सोनुले,रत्नापूर् मुल, अंकुश श्रावण खोब्रागड़े, खानगांव, प्रकाश अंबादास वेटे, डोंगरगांव, श्रीमती चंदा राजेश्वर चिकराम, देवाड़ा, किसन दोडकुजी शेंदरे, मिंडाला, जनाबाई जनार्दन बागड़े, नवानगर, गणपत लक्ष्मण मराठे, चिचपल्ली, मुनीम रतिराम गोलावार, चिचपल्ली, आनंद वाणुजी वासेकर, सावली (डोनाडा), गुलाब हरी वेळमे, जानाला (मूल), देवाजी राउत, चिचोली, विलास तुलसीराम मडावी, डोंगरगांव, श्रीराम मारुती मडावी, कोंडेगांव ,जंगू आत्राम, कोष्ठाला नियत क्षेत्र के करीब विरुर, वत्सल्याबाई आत्राम कविता पेठ निवासी विरूर।

हमलों का स्वरूप:
लकड़ी इकट्ठा करते समय हमले : ४ घटनाएं
तेंदूपत्ता इकट्ठा करते समय हमले : ३ घटनाएं
शौच के लिए जाते समय हमला : १ घटना
खेत में काम करते समय हमले : ६ घटनाएं
चरवाहे / चारा लाने जंगल गए हुवे पर हमला : ६ घटनाएं
रोजंदार मजूर काम करते समय हमला : १ घटना

परिणाम और उपाय:
इन हमलों से ग्रामीण क्षेत्रों में डर का माहौल है। जंगल के पास बसे गांवों के नागरिकों को वन्यजीवों के हमलों से बचाने के लिए वन विभाग को कठोर कदम उठाने की जरूरत है। वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास को संरक्षित करना, लोगों को सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित करना और गांवों में सुरक्षा प्रणाली स्थापित करना अनिवार्य है।
वन्यजीव संरक्षण और मानव जीवन की रक्षा के संतुलन के अभाव में मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ सकता है,

जिससे: 
जीवन संकट: ग्रामीणों की दैनिक गतिविधियां जोखिमभरी होंगी।

प्रतिशोध: वन्यजीवों के खिलाफ आक्रोश और अवैध शिकार बढ़ सकता है।

पारिस्थितिक असंतुलन: वन्यजीवों की घटती संख्या पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालेगी।

आर्थिक नुकसान:  कृषि, पर्यटन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।
समय रहते ठोस उपाय करना अनिवार्य है।

इन घटनाओं से स्पष्ट होता है कि चंद्रपुर जिले में मानव और बाघों के बीच संघर्ष गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है।
वन विभाग और स्थानीय प्रशासन इस समस्या के समाधान के लिए विभिन्न उपाय कर रहे हैं, जिनमें जनजागरूकता बढ़ाना, बाघों की निगरानी, और उनके प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा शामिल है।
फिर भी, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को विशेष सतर्कता बरतने और वन विभाग द्वारा जारी सुरक्षा निर्देशों का पालन करने की सलाह दी जाती है, ताकि इस प्रकार की दुखद घटनाओं को रोका जा सके।
यदि आप बाघों के आवास क्षेत्रों के निकट रहते हैं या वहां की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो सुरक्षा निर्देशों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
वन विभाग द्वारा जारी की गई सलाहों का अनुसरण करें और बाघों के प्राकृतिक आवास में अनधिकृत प्रवेश से बचें।
बाघों के संरक्षण और मानव-बाघ संघर्ष को कम करने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं, ताकि मानव जीवन की सुरक्षा के साथ-साथ बाघों की आबादी का भी संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।

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