ताडोबा बफर क्षेत्र में बाघ के हमले से चरवाहे की मौत, वन विभाग की चेतावनियों की अनदेखी फिर से बनी घातक

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जिला प्रतिनिधी (यश कायरकर):
ताडोबा अंधारी बाघ परियोजना के मूल बफर क्षेत्र में, जंगल में मवेशी चराने गए एक चरवाहे पर भटकते हुए बाघ ने हमला कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। चिचोली गांव के निवासी देवाजी राऊत नामक चरवाहा अपने मवेशियों को चराने के लिए जंगल में गया था, जब आज दोपहर लगभग 4 बजे बाघ ने हमला कर उसकी जान ले ली।

घटना की सूचना मिलते ही वन और पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और पंचनामा (मौके की जांच) किया। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए मूल उप-जिला अस्पताल भेजा गया।

बार-बार बाघ के हमले में चरवाहों की मौत की घटनाएं सामने आने के बावजूद वन विभाग द्वारा चरवाहों और जंगल के पास खेती करने वाले किसानों को जंगल या खेत में जाते समय सावधानी बरतने के निर्देश दिए जाते हैं, फिर भी उन्हें अनदेखा किया जाता है। एक ओर बाघों की बढ़ती संख्या और दूसरी ओर खेती के लिए जंगल पर हो रहे अतिक्रमण के कारण बाघों के हमले बढ़ रहे हैं। इस मुद्दे का समाधान वन विभाग और जनता के सहयोग से निकाला जाना चाहिए।
वन्यजीवों के हमलों में जान जाने के कारण स्थानीय लोगों में वन्यजीवों और वन विभाग के प्रति नाराजगी बढ़ रही है।

वन विभाग द्वारा बार-बार दी गई चेतावनियों की अनदेखी कर जंगल में प्रवेश करने से ये घटनाएं होती हैं। इसलिए लोगों को ऐसे संरक्षित जंगलों में मवेशी चराने नहीं ले जाना चाहिए। मवेशियों का पीछा करते हुए हिंसक जानवर कभी-कभी गांवों में भी आ जाते हैं, जिससे मानव और वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ जाती हैं। इसलिए भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए स्थानीय लोगों को सतर्क रहने की आवश्यकता है।” 
– उमेश झिरे, संजीवन पर्यावरण संस्था, मूल

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