TATR में 2024 से शुरू होने वाले सत्र में बैटरी चलीत इलेक्ट्रिक जिप्सी शुरू करने का वनविभाग का प्रस्ताव

0
321

चंद्रपूर (मोहम्मद सुलेमान बेग):

हाल ही में हुई लोकल ॲडव्हायझरी कमिटी (LAC) कार्यकारी समिति की बैठक में, वन्यजीव पर्यटन में इस्तेमाल होने वाली जिप्सी को बैटरी से चलने वाली इलेक्ट्रिक जिप्सी शुरू करने का प्रस्ताव लिया गया और संचालित वाहनों के पंजीकरण के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत स्थापित किए गए हैं।

ताडोबा प्रशासन द्वारा 2024 में जंगल सफारी के लिए बैटरी चलित इलेक्ट्रिक जिप्सी की शुरुआत के प्रस्ताव के लिए लोकल ॲडव्हायझरी कमिटी (LAC) कार्यकारी समिति की बैठक में प्रयास किया जा रहा है। इस प्रस्ताव के अनुसार, वन्यजीव पर्यटन के लिए इस्तेमाल होने वाली जिप्सी को बैटरी से चलने वाली इलेक्ट्रिक जिप्सी से बदला जाएगा।
ताडोबा जंगल सफारी में बैटरी चलित जिप्सी के ट्रायल के लिए बैटरी से चलने वाली जिप्सी को ताडोबा के कोअर और बफर क्षेत्र के सफारी रास्तो पर पिछले 4 दिनों से चलाया जा रहा है। यह बैटरी चलित जिप्सी दिल्ली से एक निजी कंपनी द्वारा निर्मित की गई है और इसे ताडोबा की सड़कों पर टेस्ट किया जा रहा है।


इस प्रक्रिया के दौरान जिप्सी चालक – मालिक के साथ ट्रायल कराया जा रहा है। जिप्सी चालक जंगल के उतार-चढ़ाव सफारी रास्तों पर जिप्सी को चलाकर टेस्ट कर रहे हैं।

वन्यजीवों के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए, बैटरी से चलने वाली जिप्सी वाहन को जंगल सफारी जैसे एक्सपीरियंस को आरामदायक बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। बैटरी चलित जिप्सी या इलेक्ट्रिक वाहन पेट्रोल या डीजल प्रयोग करने वाली वाहनों की तुलना में कम प्रदूषण करती हैं।
इलेक्ट्रिक वाहनों के बैटरी चलित मोटर्स में, कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) जैसे ग्रीनहाउस गैसेस या नित्रोजन ऑक्साइड (NOx) के उत्सर्जन की मात्रा काफी कम होती है।

इस नई प्रयास से भविष्य में ताडोबा को प्रदूषण मुक्त करने का सफलतापूर्वक प्रयास हो सकता है। बैटरी चलित जिप्सी वाहन वन्यजीवों के आवास के निकट शांति और स्थिरता का माहौल सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है। यह वाहन स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त चलने वाले जंगली सफारी का एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

मिली जाणकारी के मुताबिक बैटरी चलित जिप्सी मे करीब 100 किलो वजन की 80 वॅट की बैटरी  है और उसे चार्जिंग करने को करीब 5 से 6 घंटे का समय लागता है। एक जिप्सी सफारी होने के बाद दुसरी सफारी करना हो तो बैटरी की चार्जिंग कम पढती है। और ग्रामीण क्षेत्र मे हमेशा बिजली का करंट थोडे थोडे देर मे जाते रहता है। कही बार तो यहा के इलेक्ट्रीशियन को फॉल्ट पता करने मे समय लग जाता है। ऐसे मे बैटरी चार्जिंग कैसे कर पाएगे । साथ ही अगर फुल दे (full day safari) सफारी  करनी हो तो बैटरी चलित जिप्सी की बैटरी पुरा दिन सफारी मे नही चल सकेंगी। इसपर  वनविभाग को सोचने की जरूरत है।

अगर बैटरी बैकअप के लिए बड़ी बैटरी लगाने का सोचते है तो और लाखों का बजट बढ़ जाता है पहले ही एक बैटरी की किंमत चार लाख के ऊपर है। ऐसे में बड़ी बैटरी लगाने के सोचते है तो एक से डेढ़ लाख ज्यादा देना पड़ेगा। यदी बैटरी चार्जिंग कम समय मे और बडी बॅटरी लगाकर  और साथ ही जिप्सी का शेड उसी बजट मे मिले तो बैटरी चलित इलेक्ट्रिक जिप्सी जंगल सफारी के लिए लेने का सोच सकते है। साथ ही इन सब के लिए लोन फैसिलिटी दी जाए और ताडोबा फाउंडेशन बैटरी चलीत जिप्सी की गॅरंटी ले तो कुछ जिप्सी मालक को बैटरी चलित जिप्सी को लेने मे कोई परेशानी नही। ऐसा ताडोबा के जिप्सी मालक चालक ने वन समाचार के प्रतिनिधी से कहा।
ताडोबा अंधारी व्याघ्र परियोजना में 500 जिप्सीयों की उपलब्धता है और ताडोबा में लगभग 450 परिवार जिप्सी चला रहे हैं। ऐसे में, जब जिप्सी की नई जगह में बदलाव होने की जरूरत होती है, उन्हें एक महत्वपूर्ण सवाल का सामना करना पड़ता है – क्या नयी जिप्सी को बैटरी चलाने वाली जिप्सी बनाने के लिए खर्च करना चाहिए या उन्हें कुछ साल तक इस्तेमाल करना चाहिए।

अपनी पुरानी जिप्सी देने के बाद 9,50,000 रुपये का खर्चा बैटरी चलित जिप्सी बनाने को लग रहा है। यह सोच मे सभी दुबे हुए है।  इस गंभीर विषय पर वनविभाग की ओर से आनेवाले सत्र 2024 मे क्या फैसला लिया जाएगा  जिप्सी ट्रायल लेने के बाद सबसे सलाकर  ताडोबा प्रशासन क्या सोचते है सबकी नजर लगी है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here