
मानव वन्यजीव संघर्ष के लिए अती संवेदनशील क्षेत्र, वन कर्मियों की कमी, और वन विभाग की नजर अंदाजगी, कोई बड़ी अनहोनी की आशंका!
तलोधी (बा.) यश कायरकर
ब्रम्हपुरी वन विभाग ब्रम्हपुरी, के तहत आने वाले तलोधी बा वन परीक्षेत्र की हालत काफी दैनीय और गंभीर होती जा है! इस अती संवेदनशील तलोधी (बा.) वन परिक्षेत्र अंतर्गत (२०,०००) बिस हजार हेक्टेयर से ज्यादा वन क्षेत्र, और ६३ गांव इस वन परिक्षेत्र अंतर्गत आते हैं, यहां ३ उपक्षेत्र है, तलोधी, गोविंदपुर, और नेरी! और इन तिन क्षेत्र में १३ बिट है जिसमें से तलोधी क्षेत्र में ५ बिट, तलोधी, गंगासागर हेटी, आलेवाही, येनुली (कोटलापार), और देवपायली ऐसे ५ बिट हैं! गोविंदपुर क्षेत्र में गोविंदपुर, येनुली (माल), गिरगांव, कच्चेपार, और सारंगढ़ ऐसे ५ बिट है! और नेरी क्षेत्र में काजळसर,गोंदोडा, बोळधा ऐसे ३ बिट ऐसे इस तलोधी (बा.) वन परिक्षेत्र में कुल-मिलाकर १३ बिट हैं!
इनमे आलेवाही, गंगासागर हेटी, येनुली माल, गिरगांव ये बिट सबसे संवेदनशील है ! ईन बिटो में रोज मर्रा बाघ – तेंदुए के हमले होते जा रहे हैं! और मानव वन्यजीव संघर्ष का सिलसिला बदस्तूर बढ़ता ही जा रहा है! इस तलोधी बालापुर वन परिक्षेत्र में तकरीबन ३० तिस से ज्यादा बाघ (जिनमें ६ सब अडल्ट, ११ कब्स,और १३-१५ बड़े) ऊतने या उनसे ज्यादा तेंदुए, भालू, है! जिनकी वज़ह से हर साल औसतन (२००) दो सौ ज्यादा वन्य प्राणी हमले में किसानों के मावेशी मारे जाते हैं ! और बाघ-तेंदुए के हमलों में हर साल ५-६ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है ! इन जंगली जानवरों के हमलों में परिसर के किसान, मवेशी पालक लोगों में दहशत और आक्रोश बढ़ता जा रहा है!
चंद्रपुर जिले में सबसे बड़े ब्रम्हपुरी वन विभाग ब्रम्हपुरी में भी (उत्तर, दक्षिण ब्रम्हपुरी, नागभीड, तलोधी, सिंदेवाही, चिमुर, जमीन कॅंम्पा, गस्तीपथक,) के लिए ८ आठ वन परिक्षेत्र अधिकारी की आवश्यकता होते हुए सिर्फ ४ चार ही सेवा में कार्यरत हैं! जिसमें पुनम ब्राम्हणे मॅडम को ३ तिन उनमें २ दो अतिरिक्त प्रभार और के. आर. धोंडने प्रभारी हैं उनके पास भी २ प्रभार सौंपे हुए हैं, तलोधी, जमीन कॅंम्पा ब्रम्हपुरी ! ऐसे में वह भी तलोधी वनपरिक्षेत्र को पूरा वक्त नहीं दे सकते!
वन परिक्षेत्र में वन रक्षकों की काफी कमी है! तलोधी से इसी साल वनरक्षकों का तबादला हो गया और नये आये नहीं जिस वजह से (१३) तेरह बिटों पर सिर्फ (५) पांचही वन रक्षक रह गए!और एक साल से यहां पर स्थाई वनपरिक्षेत्र अधिकारी कीभी नियुक्त नहीं कि गयी! इस कमी कि वजह से यहां के कम संख्या में कार्यरत वनकर्मीयों इन परिस्थितियों को झेलते, सम्हालने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है! जिससे ईन मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को रोकने में तलोधी (बा.) वनपरिक्षेत्र में असफल साबित हो रहा है!
रोज मर्रा बाघ, तेंदुए, जंगली सूअर, की वजह से खेत, गांव, घरों, में हो रही घटनाएं लोगों और तलोधी परिक्षेत्र के वनकर्मचारी यों के लिए चिंता का सबब बन रही है! वन्यजीव की वजह से खेत में फसल की नुकसान के पंचनामे, लकडा चोरों की निगरानी, शिकार रोकने की मशक्कत, रात – दिन की गस्त, रोज कॅमेरा चेकिंग, अतिक्रमण रोकना, मावेशीयोंके बाघ तेंदुआ के हमले में मारे जाने के पंचनामे, और अपने रोज मर्रा का लेखा -जोखा रखना, इन सभी को संभालने में यहां के वनकर्मी काम करते परिसर के लोगों और वरिष्ठ अधिकारियों दबाव में मानसिक तनाव में सेवा देनी पड़ रही है! और दिवाली में बस सेवा बंद होते हुए भी अपने परिवार को भाईदूज पर गांव भी नहीं पहुचा सके! पर जिला लेवल के वरिष्ठ अधिकारी इन बातों से अनभिज्ञ होकर या उनकी उदासीनता की वजह से इस क्षेत्र की समस्याओं को नजरंदाज कर रहे हैं! पर यह कब तक चलेगा ? ऐसे में इस परिक्षेत्र में आने वाले दिनों में कोई बड़ी अनहोनी आशंकाओं को नकारा नहीं जा सकता है! और इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी ?
