चंद्रपूर (मोहम्मद सुलेमान बेग) ताडोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प मे T161 नर बाघ का शव मिलने से वन विभाग में हड़कंप मच गया। मिली जानकारी के मुताबिक T161 बाघ को रेडियो कॉलर लगा हुआ था। उसे पिछले महीने कॅमेरा ट्रॅप से मिली जानकारी में एक तस्वीर में T161 बाघ के गर्दन पर चोट दिखाई दे रही थी। उसके बाद वनविभाग की टीम T161 बाघ की कॉलर हटाने की तलाश में थी। कहा जाता है की T19 और उसके तीन बछड़ों को अप्रैल 2019 में रेडियो कॉलर से लगाया गया था। उस T19 मादा बाघ का T161 नर बछड़ा है, जिसकी उम्र लगभग 4 1/2 वर्ष है।
2019 में T161 बाघ के गले में एक रेडियो कॉलर का आखरी सिग्नल 2019 में मिला था, जिसके बाद सिग्नल आना बंद हो गया। सिग्नल आना बंद होने से उसकी तलाश जारी हुई। फिर उसके बाद 2020 और 2021 में रेडियो कॉलर का सिग्नल प्राप्त हुआ और यह सही स्थिति में शुरू था। फिर उसी नर बाघ को 29 मार्च, 2022 को आंबेउतरा के पास देखा गया था, जिसके बाद वन विभाग उसे पकड़ने में सफल रहे, लेकिन आज 30 मार्च, 2022 को ताडोबा के कोर एरिया में कारवा क्षेत्र के रानतलोधी राउंड कंपार्टमेंट नं. 290 में आंबेउतारा धारा में वनविभाग के खोज दल को बाघ का शव मिला।
वन विभाग के अनुसार, T161 बाघ की मौत उसके गले में घाव के कारण होने का प्रारंभिक अनुमान लगाया जा रहा है।
आगे की फोरेंसिक जांच के लिए आंत के अंगों को एकत्र किया गया है।
शव परीक्षण के लिए चंद्रपुर TTC ले जाया गया। वहां मौजूद पशु चिकित्सक डॉ. एकता शेडमेक (एलडीओ, चंद्रपुर), डॉ. राहुल शेनडारे (एलडीओ वरोरा), डॉ. कुंदन पोडचेलवार (पशु चिकित्सक, टीटीसी) की एक टीम ने शव परीक्षण किया। डॉ जितेंद्र रामगांवकर (FD, TATR), नंदकिशोर काले (उपसंचालक कोर विभाग), महेश खोरे (ACF), कृष्णापुरकर (वन परिक्षेत्र अधिकारी कारवा), रामटेके (वनपरिक्षेत्र अधिकारी, कोलसा), साथ ही बंडू धोत्रे (PCCF, WL प्रतिनिधि) और पोस्टमॉर्टम के लिए मुकेश भंडारकर(NTCA प्रतिनिधि) मौजूद थे।