बरसात में सांप, सर्पदंश और उनसे से बचाव कैसे ?

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बरसात मे सर्पदंश के मामले अधिक होते हैं.
बिलो से निकलकर आ जाते हैं घर और खेतों में.
तलोधी (बा.)यश कायरकर.
जैसे ही बरसात के दिन आते हैं, न जाने कहां-कहां सांप दिखाई देने लगते हैं घरों में, खेतों में, रास्तों पर, वक्त – बेवक्त सांप दिखाई देते हैं. पर यह अचानक ही बाढ़ की तरह आते कहां से है? लोगों के सामने सवाल पैदा होता है. पर साल भर बिलों में रहने वाले सांप, बिलों में पानी भर जाने से. और बरसात के दिनों में मेंढक, छोटे किट जमीन पर बहुत ज्यादा मात्रा में मिलने की वजह से सांप बिलों से बाहर आ जाते हैं , या फिर नदियों नालों में बाढ़ आने से जंगल से बहकर खेतों में, गांवों में आ जाते हैं. मण्यार जैसे कुछ निशाचर सांप सिर्फ रातों में ही बिलो से बाहर आते हैं नाग, धामन जैसे सांप अक्सर घरों में चुहोंके पीछे आ जाते हैं. तो घोनस, फुरसे, अजगर जैसे सांप खेतों में दिखाई देने लगते हैं.

विदर्भ में सांपों की सात ही जहरीली प्रजाति पाई जाती है. जिसमें नाग(Cobra), मन्यार(Common Krait), घोणस(Russell’s Viper), फुरसे( Saw Scaled Viper), यह चार प्रमुख प्रजाति है, और पोवळा(Slender Coral Snake), चापळा(Bamboo Pit Viper), पट्टेरी मण्यार(Banded Krait) यह तिन जहरिले सांप भी पाये जाते हैं. मगर हुबहू उनके जैसे ही दिखने वाले बिनविषैले सांप ज्यादा संख्या में विदर्भ में पाए जाते हैं. मगर लोगों में सांपों के प्रति और जानकारी का अभाव हि इन सांपों की मौत का कारण बन जाता है. एक तरफ तो लोग नाग जैसे सांप की पूजा करते हैं मगर दूसरी ओर उसी को जान का दुश्मन समझ के मार दिया जाता है.
अक्सर नाग सांप समझकर लोग धामन, दिवट, धुल नागिन जैसे बिन विषारी सांपों को मार डालते हैं. वहीं घोणस जैसे विषैले सांप के बारे में डर होने की वजह से उसके जैसे ही दिखने वाले डुरक्या घोणस, मांडुळ, अजगर जैसे बिन विषारी सांपों को भी लोग डर के मारे मार देते हैं. तो मण्यार जैसे विषैले सांप के तरह दिखने वाले कुकरी, कवळ्या जैसे बिनविषारी सांपों को भी मारा जाता है. सांपो के बारे में अज्ञानता ही सांपो के मौत का कारण साबित होती हैं. अक्सर लोग खेतों में या घरों में दिखाई देने वाले सांपों को डर की वजह से जहरीला समझकर मार डालते हैं.
लोगों में अभी भी सांपो के बारे में जानकारी नहीं है. जो उन तक वन विभाग द्वारा पहुंचाई जानी चाहिए. जिसकी वजह से पर्यावरण में चूहे जैसे उपद्रवी प्राणियों जो किसानो के खेतीयों,घरोंमे बीजों को खाने वाले चुहों को खाने वाले किसानों दोस्त और पर्यावरण में पर्यावरण संतुलन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इन सांपों को बचाया जा सके. मगर अभी कुछ वन्यजीव प्रेमी, सर्प मित्रों की वजह से इन सांपों को बचाया जा रहा है.
पूरी दुनिया के सांपों के मरने वाले लोगों की तुलना में देखा जाए तो हर साल हमारे देश में पूरे विश्व से ज्यादा लोग सर्पदंश में मारे जाते हैं. और पुर्व विदर्भ में ही सांप काटनेकी वजह से हर रोज़ औसतन 10 लोगों के मारे जाने की नोंद होती हैं. उसमें भंडारा 20, गढ़चिरौली में 18, चंद्रपुर जिले में 3 लोगों के मरने की जानकारी है. हमारे देश में अंधविश्वास और जानकारी की कमी ही इन मौतों के बढ़ते हुए आंकड़ों की वजह है. आज भी लोग जहरीला सांप काटने के बाद अस्पताल में (एंटी वेनम) जहर प्रतिरोधक इंजेक्शन लेने के लिए जाने की बजाए , गांव में रहने वाले ढोंगी , नागमोतियों और बाबाओं के पास मंत्र तंत्र से जहर उतारने के लिए जाते हैं. और वक्त के रहते अस्पताल ना पहुंचने की वजह से अपनी जान गवा बैठे हैं.
जब भी साप नजर आये तो उसे मारने की बजाय परिसर के सर्परक्षक, वन विभाग को सुचीत करना चाहिए. ताकि सांप को बचाया जा सके. हमेशा खेतों में लंबे जुते पहनकर जाये, घास में जाने से पहले सावधानी बरतें, घरों के आसपास कचरा जमा नहीं करे, घरों में रात को निचे ना सोये, चुहों के पिछे सांप घरों में आ जाते हैं, घरों में बचा हुआ खाना न रखें, और सर्पदंश होने पर तुरंत नजदीक अस्पताल में जाना चाहिए, दुनिया में सांपों का जहर को, कोई भी मंत्र तंत्र से या जड़ी बूटी से नहीं उतार सकता. सांपों का जहर उतारने के लिए उसी प्रजाति के साप के जहर से बनी हुई जहर प्रतिरोधक दवा ही उस सांप के जहर को शरीर से उतार सकती हैं” – स्वाब नेचर केयर फाउंडेशन.

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