
भोपाल :
तारीख ०३ मई रविवार शाम होशंगाबाद जिले के मिडघाट इलाके में एक बाघिन को एक तेज रफ्तार ट्रेन ने रौंद दिया। रेलवे कर्मचारियों द्वारा वन विभाग को सूचित किया गया। रेलवे कर्मचारियों ने शाम 6 बजे के आसपास चोका रेलवे स्टेशन के पास पटरियों पर बाघ का शव देखा। अधिकारियों की जानकारी के मुताबिक पिछले पांच वर्षों में एक ही रेलवे ट्रैक पर यह तीसरा बाघ मारा गया है।
NTCA प्रोटोकॉल के अनुपालन में शव परीक्षण के बाद शव का निस्तारण किया गया। पर्यावरणवादी अजय दुबे ने कहा की जानवरों को ट्रैक पार करने से रोकने के लिए उचित पहल क्यों नहीं कर रहे हैं। कुछ क्षेत्रों में चेन फेंसिंग लगाई है, लेकिन जानवरों को पार करने के लिए अन्य मार्ग मिलता हैं। सरकार ने रतनपानी क्षेत्र को एक बाघ अभयारण्य के रूप में अधिसूचित करना चाहिए।
मिडघाट सेक्शन के भीतर स्थित रातापानी टाइगर रिजर्व है। हाल ही में हुई बाघ जनगणना में अनुमान के मुताबिक बाघों की आबादी 40 से बढ़कर 50 हो गई है।
बाघ ट्रेनों से मारा जा रहा है क्योंकि वे पास के वायर बॉडी में जाने के लिए पटरियों को पार करके जाते हैं और लगभग हर 10 मिनट में एक ट्रेन वहां से गुजरती है।
2016-17 में इस क्षेत्र में बाघो की मौत देखी गई थी, जिसके बाद रेलवे पटरियों पर जानवरों के पुल बनाने का निर्णय लिया गया था। रातापानी को 2008 में NTCA से मंजूरी के बावजूद बाघ आरक्षित के रूप में अधिसूचित नहीं किया गया है।इस क्षेत्र में रेलवे नेटवर्क का विस्तार हाल ही में तीसरी रेल लाइन बिछाने के साथ किया गया है जिसमें बाघो के सुरक्षित मार्ग के लिए विशिष्ट प्रावधान हैं। वनविभाग एक पशुपुल या पशु ओवरपास चाहता है ।
ताकि वन्यजीव बिना किसी दुर्घटना के सुरक्षित रूप से ट्रैक पार कर सकें। इसके लिए पिछले सप्ताह ही वन्यजीव और वन अधिकारियों के बीच एक बैठक हुई थी।
