
‘धेय्य प्लास्टिक मुक्त निसर्ग’ के तहत चलाया जाता है परिसर स्वच्छता का साप्ताहिक अभियान.
लोगों से किया प्लास्टिक जंगल, तालाब, मंदिर परिसर,या रास्तों में ना फेंकने का अनुरोध.
तलोधी (बा)
तालोधी बालापुर परिसर स्थित पेरजागड (सात बहिनी) पहाड़ी धार्मिक क्षेत्र माना जाता है. यहां पर हर साल महाशिवरात्रि के पर्व पर दो दिन का मेला लगाया जाता है. मेले में पहाड़ी पर स्थित महादेव मंदिर में शिवरात्रि के दिन पूजा अर्चना की जाती है. बड़ी मात्रा में श्रद्धालु आते हैं, और स्थानिक परिसर के गांव वालों द्वारा दूसरे दिन महाप्रसाद का भी आयोजन किया जाता है . यहां मेले में दुकानें भी सजाई जाती है. मगर इस साल कोरोना (कोविड-19) के एहतियात के चलते पुलिस विभाग द्वारा मेले की अनुमति नहीं दी गई . फिर भी हजारों श्रद्धालु यहां आकर पहाड़ी के तलहटी स्थित मंदिर में पूजा अर्चना कर लौटते रहे.
यह संपूर्ण परिसर वन व्याप्त है तालोधी बालापुर वन परीक्षेत्र अंतर्गत आने वाला यह पेरजागड (सात बहिनी) पहाड़ ताडोबा अभयारण्य से सटा हुआ, और नव घोषित घोड़ाझरी अभयारण्य के कोअर क्षेत्र में आता है , यह सारंगढ़ बिट में आने वाला इस परिसर में बड़ी मात्रा में वाइल्ड लाइफ है यहां जंगली पशुओं का विचरण बड़ी मात्रा में होता है. जिसमें बाघ , तेंदुआ ,भालू जैसे बड़े जानवर हमेशा विचरण करते रहते हैं. और इस पत्थर की पहाड़ी पर बड़े-बड़े मधुमक्खियों के सैकड़ों छाते लटकते हैं . इन मधुमक्खियों द्वारा यहां आने वाले सैलानियों पर साल भर में कई बार हमले किए जाते हैं , जिसमें यहां मधुमक्खियों के हमले में इंसान मरने की भी घटनाएं हुई है. और अक्सर इन मधुमक्खियों के हमले में लोग घायल भी होते हैं. कुछ दिन पूर्व ही यहां आए उमरेड और नागपुर के मेडिकल स्टूडेंट्स को बेहोशी के हालत में रेस्क्यू किया गया था . इस तरह के इस खतरनाक और जंगली जानवरों से व्याप्त इस परिसर को वन विभाग द्वारा धोकादायक घोषित किया गया है . और किसी बड़ी अनहोनी के चलते और वन विभाग द्वारा यहां आने की पाबंदियां लगाई गई है।
फिर भी बड़ी मात्रा में सैलानी लोग , कुछ श्रद्धालु और ज्यादातर प्रेमी-युगल युवक-युवतीया हर रोज यहां आते रहते हैं . जंगली जानवरों के हमले से बेखबर अपनी जान जोखिम में डालकर हमेशा युवक-युवती या यहां दुचाकी और सैकड़ों कारों से रंगरलिया मनाने के लिए जंगल में आते रहते हैं . और हर इतवार को मानो हजारों लोगों का यहां मेला सा लगा रहता है . और साथ में लाई हुई प्लास्टिक, पानी की बोतल, खाना खाने के बाद प्लास्टिक और थर्माकोल की पत्रावली, बच्चों के डायपर को इस परिसर में फेंक दिया जाता है.
वन्यजीव अभ्यासक और स्वाब नेचर केयर संस्था के अध्यक्ष यश कायरकर जब इस परिसर में पक्षी निरीक्षण हेतु गए थे तो उन्होंने एक भालू के परिवार को यहां पर फेंकी गई बच्चों की डायपर को नोच कर चाटते हुए देखा. और तभी से जंगल से सटे , और जंगल के अंदर के मंदिर , तालाब परिसर और रास्तों को प्लास्टिक मुक्त करने की ठान ली . और इसी के तहत संस्था द्वारा ‘धेय्य प्लास्टिक मुक्त निसर्ग अभियान’ परिसर में हर सप्ताह आयोजित किया जाता है. जिसके तहत आज महाशिवरात्रि होने के 2 दिन बाद पेरजागड परिसर में स्वच्छता की गई. इस स्वच्छता अभियान में स्वाब नेचर केयर संस्था के अध्यक्ष यशवंत कायरकर, उपाध्यक्ष स्वप्निल बोधनकर, सदस्य हितेश मूंगमोड़े, वेद प्रकाश मेश्राम, सूरज गेडाम, कुणाल रामटेके, अनिकेत बावने, येनुली (माल) के वनरक्षक एस.एस. गौरकर, और सारंगढ़ बीट के वनरक्षक यस. यम. जुमनाके मैडम इन्होंने भी सहायता की.
इस अवसर पर यश कायरकर इन्होंने यहां आने वाले या फिर किसी भी जंगल में भटकने वाले लोगों से अनुरोध किया है कि ‘आप कहीं भी प्लास्टिक लेकर जाते हैं या पानी की बोतल लेकर जाते हैं तो कृपया उसे जंगल , तालाब , मंदिर परिसर , या रास्ते के बाजू में फेंकने की बजाय अपने साथ ही गांव में वापस लाइए और किसी कचरा कुंडी में डाल दीजिए जिससे परिसर भी प्लास्टिक के कचरे से प्रदूषित नहीं होगा’ और वनविभाग द्वारा इस पहाड़ी पर जाने वाले गेट पर वनकर्मी नियुक्त करने का भी उन्होंने अनुरोध किया है.
